21. हम फिर से तेरी राह
*आधे-अधूरे मिसरे-21*
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*हम फिर से तेरी राह*
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हम फिर से तेरी राह पर चलने लगे हैं।
जबकि गुमाँ ये था कि हम बदलने लगे हैं।
बेशक तुम्हारी चाह में दीवाने थे कभी,
होने लगा यकीं की अब संभलने लगे हैं।
इस इश्क़ की न जाने कितनी है ख्वाहिशें,
अब इश्क़ की ख्वाहिश को ही कुचलने लगे हैं।
फ़राज़ (क़लमदराज़)
S.N.Siddiqui
@seen_9807
@आलिया खान लेखनी से
Shashank मणि Yadava 'सनम'
08-Sep-2023 06:37 AM
सुन्दर सृजन
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Gunjan Kamal
28-Jul-2023 07:21 AM
👏👌
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Milind salve
25-Jul-2023 04:14 AM
Nice 👌
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